Monday 16 November 2015

'कुसुमसरोवर'

"जय श्री कृष्णा"
''पृथ्वी पर गिरे फूल पूजा के योग्य न रहे तो क्या करें''
एक दिन श्री किशोरी जी सखियों के साथ कुसुम वन में फूल चयन कर रही थीं। श्री श्यामसुंदर ने माली के रूप में दूर से खड़े होकर आवाज़ लगाई,'' कौन तुम फुलवा बीनन हारी?''
साथ की सखियां भयभीत होकर इधर-उधर भाग खड़ी हुईं। श्री किशोरी जी का नीलाम्बर एक झाड़ी में उलझ गया, भाग न सकीं। इस हड़बड़ाहट में एक-दो फूल भी उनके हाथ से गिर गए। इतने में माली का रूप छोड़ कर सामने श्री श्याम सुंदर आकर उपस्थित हुए। उन्होंने नीलाम्बर को झाड़ी से छुड़ा दिया। श्री राधा के द्वारा पृथ्वी पर गिरे फूल श्री श्यामसुंदर ने उठा लिए।
श्री किशोरी जी ने कहा, ''प्रियतम ! पृथ्वी पर गिरे फूल पूजा के योग्य तो रहे नहीं अब क्या करोगे इनका?''
श्री श्यामसुंदर ने उन फूलों को सरोवर के जल से धो लिया और बोले प्राणवल्लभे ! अब ये फूल शुद्ध हो गए हैं। इतना कह कर श्री श्यामसुंदर ने वे कुसुम श्री किशोरी जी की बेनी में लगा दिए। श्री युगल किशोर के आनन्द की सीमा न रही। तभी से यह सरोवर 'कुसुमसरोवर' नाम से प्रसिद्ध हो गया।
'कुसुमसरोवर' गोवर्धन
~~~जय जय श्री राधे~~~

No comments:

Post a Comment