Monday 16 November 2015

कुम्हार पर श्रीकृष्ण कृपा



((((( कुम्हार पर श्रीकृष्ण कृपा )))))
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जब भगवान श्रीकृष्ण का ब्रजभूमि में अवतार होना था तो देव, गंधर्वों आदि ने भी ब्रह्माजी से जिद करके ब्रज में विभिन्न रूपों में जन्म लिया था.
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बाल भगवान श्रीकृष्ण भक्तों के साथ चुहल कर लीलाएं करते रहे. गोपियों संग लीला करते भगवान श्रीकृष्ण उनकी मटकी फोड़ते, उनके घरों से माखन चुराते.
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गोपियां श्रीकृष्ण का उलाहना लेकर रोज यशोदा मैय्या के पास जातीं. गोपियां जानती थीं कि वे जितनी शिकायत करेंगी कान्हा उतना ही उन्हें छेंडेंगे.
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एक बार यशोदा माता श्रीकृष्ण के लिए आ रहे उलाहनो से तंग आ गईं और छड़ी लेकर श्री कृष्ण की और दौड़ीं. माता को क्रोध में देखकर बालकृष्ण बचने के लिए भागने लगे.
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भागते-भागते श्रीकृष्ण एक कुम्हार के पास पहुंचे. कुम्हार मिट्टी के घडे बनाने में व्यस्त था. कुम्हार ने श्रीकृष्ण को देखा तो बड़ा प्रसन्न हुआ क्योंकि कुम्हार इस बात से परिचित था कि श्रीकृष्ण भगवान हैं.
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श्रीकृष्ण ने कुम्हार से कहा भाई आज यशोदा माता बहुत क्रोधित हैं. छडी लेकर आ रही हैं. मुझे कहीं छुपा लो बड़ी कृपा होगी. कुम्हार ने श्रीकृष्ण को एक बडे से मटके के नीचे छिपा दिया.
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यशोदा माता वहां आईँ और कुम्हार से पूछा- तुमने कान्हा को देखा ? कुम्हार ने मना कर दिया तो माता वहां से चली गईं. श्रीकृष्ण बडे से घडे के नीचे से छिपकर यह सब सुन रहे थे.
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श्रीकृष्ण ने कुम्हार से कहा- माता चली गईं. अब तो मुझे इस घड़े से बाहर निकालो.
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कुम्हार बोला मैं तो आप को घड़े से बाहर निकाल दूंगा पहले मुझे 84 लाख यानियों के बंधन से तो निकालो प्रभु.
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श्रीकृष्ण ने कुम्हार को मुस्करा कहा- चलो तुम्हें 84 लाख योनियो के बँधन से मुक्त करता हूं. अब तो मुझे घड़े के बंधन से मुक्त कर दो.
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कुम्हार कहने लगा- प्रभु मैं तो आपको घड़े से निकाल दूंगा लेकिन मेरे परिवार के लोगों को भी 84 लाख योनियो के बंधन से मुक्त कर दें.
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प्रभु ने उन्हें भी बंधन मुक्त किया और बोले अब तो मुझे घडे से निकाल दो.
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कुम्हार बोला- प्रभु आप जिस घड़े के नीचे छिपे हैं उसकी मिट्टी मेरे बैल लाद के लाए हैं. मेरे बैलो को भी 84 के बंधन से मुक्त करो.
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श्रीकृष्ण ने कहा- चलो उन बैलों को भी 84 लाख योनियों के बंधन से मुक्त करता हूं. अब तो तुम्हारी सारी इच्छा पूरी कर दी. अब तो घड़े से बाहर निकाल दो.
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कुम्हार ने कहा- एक और इच्छा है प्रभु. जो भी प्राणी हम दोनों के बीच का यह संवाद सुनेगा उसे भी 84 लाख योनियो के बंधन से मुक्त करो.
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कुम्हार की परोपकार की बात से भक्तवत्सल भगवान बड़े प्रसन्न होते हैं. कुम्हार की इस इच्छा को भी पूरी कर दिया.
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तब जाकर कुम्हार ने प्रभु को घड़े से बाहर निकाला. प्रभु ने गले से लगा लिया और उसे जीवन और मृत्यु के चक्कर से मुक्त कर दिया.
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जो प्रभु गोर्वधन को अपनी एक अंगुली पर उठा सकते हैं वह क्या एक घडा नही उठा सकते थे. यह लीला तो बस प्रभु ने अपने भक्त के हृदय की गहराई की थाह लेने के लिए की. हम श्री कृष्ण लीला का स्मरण करते रहेंगे.
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तेरा दास तुझपे है कुरबान कान्हा !
बडा तेरा मुझपे है एहसान कान्हा !
जमी से उठा कर,
गले से लगाना,
वो अपना बनाना गजब ढा गया !
है मदहोश सारे,
वो जमुना किनारे,
वो बंशी बजाना गजब ढा गया !
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(((((((((( जय जय श्री राधे ))))))))))
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