"राधे मेरी स्वामिनी, मैं बनी युगल रुप की दासी
जनम-जनम मोहे बना दीजो श्री बरसाना को वासी।"
"सब द्वारण को छांड के, मैं आई तेरे द्वार,
ओ वृषभानु की लाडली, अब मेरी और निहार।
जय जय श्री राधे
जो राधा राधा कहते है, वो प्रिया शरण में रहते हैं...
करती है कृपा, वृषभानु सुता, वही महल बुलाये जाते
है...
दरबार में राधा रानी के दुःख दर्द मिटाए जाते है...
दुनिया से सताये लोग यहाँ सीने से लगाये जाते है...
वो कृपामयी कहलाती है, रसिको के मन को भाती
है...
दुनिया में जो बदनाम हुए, पलकों पे बिठाये जाते है...
दरबार में राधारानी के दुःख दर्द मिटाए जाते है...
दुनिया से सताये लोग यहाँ सीने से लगाये जा★जय श्री राधे राधे
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