Saturday 24 October 2015

काहना बस तुम्हे देखूँ

चले नहीं छल बल कन्हैया,जिसपे हो तेरी महर
तुमसे अच्छा कौन होगा, साथी मेरा हम सफ़र |
हर घड़ी हर पल कन्हैया,साथ तेरा चाहिए
मैं हूँ निर्बल तूं मेरा बल,हाथ तेरा चाहिए.
देखूं मैं जिस और कन्हैया,दिखे मुझको तूं उधर
अँखिया क्यों है प्यासी मेरी,दिल क्यों रहता है उदास
देख नहीं क्यों पाता तुमको,रहते हो जब आस-पास.
देना ज्योति आँखों को,आना मुझको तूं नज़र
है तमन्ना दिल में मेरे,देखूं तुझको बार-बार
आऊं जब भी दर पे तेरे,पाऊं मैं तेरा दीदार.
पाऊं जो दीदार तेरा,रहे नहीं भय कोइ डर
बढ़ता जाऊं मैं भी कान्हा,रुके नहीं मेरे कदम.
हर कदम पे हो नया दम,देखूं मैं तुझको सनम
  अरदास सुनलो,ओ कन्हैया ओ गिरधर

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