Tuesday 27 October 2015

krishna bhajan

जब सँकट गहराये, तुझे कुछ ना नज़र आये
तू मनाले, साँवरे को, तेरी बिगड़ी सँवर सजाये,
जब सँकट . . .

वो लाज बचैया है, वो भव का खिवैया है
वो घट घट की जानें, वो स्वयम् कन्हैया है
किस चिंता में डूबा, क्या फिकर तुझे खाये

वो कलयुग अवतारी, वो कृष्ण कला धारी,
चाहे जैसा संकट हो, कटती विपदा सारी,
प्रभु श्याम के होते हुये, नहीं आँच कोई आये

बस आस जगाये रख, विश्वास जमाये रख
बस एक भरोसा रख, भावों को बनाये रख,
कहता है "अनमोल' तेरी, तक़दीर सँवर जाये

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