Tuesday 27 October 2015

राधा-कृष्ण कुंड के प्रसिद्ध घाट

 राधा-कृष्ण कुंड के प्रसिद्ध घाट
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1. श्रीगोविन्द घाट– यह श्रीराधाकुण्ड के पूर्व तट पर स्थित है. श्रीसनातन गोस्वामी ने इसी घाट पर राधिका जी को झूले पर झूलते हुए देखकर श्रीरूप गोस्वामी कृत चाटुपुष्पाञ्जलि के 'वेणीव्यालंगणाफणा' पद का रहस्य हृदयंगम किया था. यह घाट श्रीगोपाल भट्ट गोस्वामी की भजनकुटी और बिहारी जी के मन्दिर के मध्य स्थित है.

2. श्री मानस पावन घाट– श्यामकुण्ड के वायुकोण में स्थित यह घाट राधिका जी को अत्यन्त प्रिय है.

3. पञ्च पाण्डव घाट– यह घाट श्रीश्यामकुण्ड के उत्तर में मानस घाट से संलग्न है. इसी घाट से ऊपर पाँचों पाण्डवों ने श्रीरघुनाथ दास गोस्वामी को वृक्षों के रूप मंन अपना परिचय दिया था. इसी घाट पर एक प्राचीन छोहरा वृक्ष है. उसने श्रीविश्वनाथ चक्रवर्ती ठाकुर को अपना परिचय काशीवासी ब्राह्मण के रूप में दिया था. यह वृक्ष श्रीगदाधर–चैतन्य मन्दिर के प्रवेश द्वार पर स्थित है.

4. मधुमंगल घाट– इसी घाट के ऊपर मधुमग्ङलानन्द नामक श्रीमधुमग्ङल जी का कुञ्ज है, जिसे इन्होंने श्रीललिता सखी को अर्पण कर रखा है. इस घाट पर हितहरिवंश गोस्वामी की बैठक है.

5. श्रीजीव गोस्वामी घाट– यहीं पर ऊपर में श्रीजीव गोस्वामी की भजन कुटी है. वे प्रतिदिन इसी घाट पर स्नान करते थे.

6. गया घाट– इसका नामान्तर धन माधव घेरा घाट भी है. इसी के ऊपर श्रीमाधवेन्द्रपुरी की बैठक एवं श्रीहरिराम व्यासजी की भजन–स्थली है.

7. अष्टसखी का घाट– यह गया घाट और तमालतला के मध्य में अवस्थित है.

8. तमालतला घाट– यह श्यामकुण्ड के दक्षिण तट पर स्थित है. इसी घाट के ऊपर तमाल वृक्ष के नीचे श्रीचैतन्य महाप्रभु जी बैठे थे तथा उन्होंने ग्रामवासियों से दोनों कुण्डों के सम्बन्ध में पूछा था. किन्तु ग्रामवासी उत्तर नहीं दे सके. उन्होंने केवल पास में ही काली और गौरी नामक खेतों को दिखलाया. महाप्रभु ने ही उनका राधाकुण्ड एवं श्यामकुण्ड नामकरण कर उनमें स्नान किया. इस प्रकार उन्होंने महाराज वज्रनाभ द्वारा प्रतिष्ठित श्रीराधाकुण्ड और श्रीश्यामकुण्ड का जगत में प्रकाश किया. बाद में श्रीरघुनाथदास गोस्वामी ने इनके घाटों को पक्का बनवा दिया.

9. श्रीवल्लभ घाट– यह तमालतला से पश्चिम में श्यामकुण्ड के दक्षिण तट पर अवस्थित है. श्रीवल्लभाचार्य ने अपने परिवारों के साथ इस घाट पर छोहरा वृक्ष की छाया में बैठकर दोनों कुण्डों का माहात्म्य गान किया था. वे कुछ दिन यहाँ पर रहे थे तथा प्रतिदिन इस घाट पर स्नान करते और श्रीमद्भागवत का प्रवचन भी करते थे.

10. श्रीमदनमोहन घाट– इसी घाट के दक्षिण भाग में श्रीमदनमोहन जी का मन्दिर है.

11. संगम घाट– यह दोनों कुण्डों के मध्य में स्थित है. यहीं पर नीचे ही नीचे दोनों कुण्डों का परस्पर संगम होता है. यह श्रीराधाकृष्ण युगल की नित्य लीला का योगपीठ है. वैष्णव लोग पहले श्रीराधाकुण्ड में स्नान कर पीछे श्रीश्यामकुण्ड में स्नान करते हैं. कहते हैं– यहाँ एक तमाल का पुराना वृक्ष था. किसी भक्त को उसने अगस्त ऋषि के रूप में अपना परिचय दिया था.

12. रासवाड़ी घाट– यह श्रीराधाकुण्ड के दक्षिण भाग में स्थित है. इस घाट पर श्रीरास मण्डल स्थित है.

13. झूलन घाट– यह घाट श्रीराधाकुण्ड के पश्चिमी तट पर स्थित है. यहाँ श्रीराधाकृष्ण झूला-झूलते थे. आज भी राधाकुण्ड की ब्रज रमणियाँ बड़े समारोह से झूला-झूलती हैं. इस घाट का दूसरा नाम राधाकृष्ण का घाट भी है.

14. श्रीजाह्नवा घाट– यह घाट राधाकुण्ड के उत्तर में स्थित है तथा श्रीनित्या नन्द प्रभु की पत्नी श्रीजाह्नवा ठाकुरानी के स्नान करने का घाट है. यहीं पर वे भजन भी करती थी. आज भी वह बैठक विद्यमान है.

15. श्रीवज्रनाभ कुण्ड– यह कुण्ड श्रीकृष्ण कुण्ड के मध्य में स्थित है.

16. श्रीकक्ङण कुण्ड– श्रीराधा जी ने सखियों की सहायता से अपने कक्ङणों के द्वारा इस कुण्ड का निर्माण किया था. श्रीराधाकुण्ड के बीचों-बीच में यह कुण्ड स्थित है.

!! जय जय श्री राधे !!

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