Tuesday 27 October 2015

krishna bhajan

कन्हैया तुम्हारी झलक चाहते है...
-----जो झपके न ऐसी पलक चाहते है...
तुम्हारे खयालो में बीते ये जीवन...
-----तुम्हारे ही चरणो में होए मगन हम...
तुम्हे देखने की ललक चाहते है...
------कन्हैया तुम्हारी झलक चाहते है...
नहीं रौशनी चाँद सूरज की चाहते...
------नहीं चांदनी की माला ही बाटे...
तुम्हारे मुकुट की चमक चाहते है...
------थकू न कभी श्याम गुण तेरे गाते...
ये संसार के गीत अब न सुहाते...
------नुपुर की बस अब झनक चाहते है...
सब कुछ है तेरा तुम प्रियतम मेरे हो...
------बेबस से फिर काहे ऐसे अलग हो...
मिटे न कभी वो तलब चाहते है...
------कन्हैया तुम्हारी झलक चाहते है...
।। जय श्री कृष्णा ।।*।। राधे राधे ।।*।।

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