Monday 26 October 2015

कृष्ण दर्शन


घर में ही रह कर श्री कृष्ण के दर्शन
हो सकते हैं । गोपियों को अपने घर
में ही श्री कृष्ण भगवान के दर्शन हुए थे । गोपियां यह मानतीं थीं कि मैं
जहाँ जाऊँ वहां मेरे कृष्ण साथ ही होतें है । प्रत्येक गोपी का व्यवहार
भक्ति मय था इसलिए वह श्री कृष्ण
प्रभु की कृपा प्राप्त कर सकीं ।

गोपियां महापरमहंस है गृहस्थी होते हुये महा परमहंस है ।
यह मन मक्खन की तरह कोमल है । मन की चोरी ही माखन चोरी है ।श्री
कृष्ण दूसरों के चित्त की चोरी करते हैं ।वे सबके चित्त चुराते है पर पकड़ में नहीं आते ।चोरी करके पकड़ा जाये वह सामान्य चोर है पर ये तो
अनोखे चोर हैं ।यह अनोखा चोर गोपियों के मन का निरोध करने वाला था ।
जरा सोचिए कि स्वाद गोपियों के मक्खन में था या गोपियों के प्रेम में ??वास्तविक मिठास प्रेम में है ।
अन्य किसी वस्तु में मिठास नही है।

रासलीला में प्रेम है, मोह नहीं है जो
मनुष्य गोपियों के साथ श्री कृष्ण की लीला को श्रद्धा के साथ सुनते या वर्णन करते हैं वे परमात्मा की
भक्ति पाकर ह्रदय के रोग रूपी काम
को त्याग देते हैं । इसलिए भक्ति में
सिर्फ परमात्मा का ही ध्यान रखना
चाहिए ।
जै जै श्यामा श्याम

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