Wednesday 28 October 2015

भगवान के दर्शन

एक बार श्री नारद मुनि जी पृथ्वी पर जाते समय
एक पीपल के वृक्ष के निचे एक भक्त बड़े तन्मय होकर
प्रभु की भक्ति कर रहे थे।
भक्त ने देखा की नारद मुनि जी पधारे है उनको
देख कर भक्त खड़े होकर उनको प्रणाम करके बोले हे
मुनि देव कैसे पधारे तो नारद जी ने कहा की
तुम्हारी भक्ति को देख कर आकर्षित होकर
चला आया। तब भक्त ने कहा की आप जब वैकुण्ठ मै
प्रभु के पास जाये तो उनसे यह पूछना की मुझे कब
तक आप के दर्शन होंगे तो नारद जी ने कहा की
ठीक है जरूर पूछूँगा इतना कहा कर विदा ली
फिर वे बैकुंठ पहुचे तो भगवान से कहा की आप उस
पीपल वाले भक्त से कब मिलेंगे ? तो प्रभु ने कहा
की उनको कहना की जितने उस वृक्ष मैं पत्ते है
उतने दिन बाद मिलेंगे।
नारद जी वापस उसी भक्त के पास आकर सब कह
देते है। तो वो भक्त ख़ुशी के मारे और जोर से भजन
गाकर उत्साह से नाचकर हरी को रिझाने के
भाव से गाते है हरी आएंगे हरी आएंगे। उस भजन के
नाद से उस वृक्ष के पत्ते कीर्तन करते है और सभी
पत्ते झड़ जाते है ये सब नारद मुनि देखते रहते है तभी
वहां श्री हरी भगवान प्रकट होते है। भक्त
भगवान के दर्शन करते है और नारद जी भगवान से
कहते है की आप वृक्ष के पत्ते की संख्या दिन के
बाद आने वाले थे आप अभी आ गये मुझे झूट कहा या
मझ से झूट कहलवाया।
तो भगवान कहते है की इस भक्त की भक्ति से
पीपल के सभी पत्ते अभी झड़ गए और मुझे अभी
आना ही पड़ा।
श्री हरी की जय

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