Tuesday 27 October 2015

श्री राधे राधे, श्री श्याम श्याम

श्री राधे राधे,
श्री श्याम श्याम,

🙏🏼🌹"वसुधा मिली थी साँझ से,ओढ़ चुनरी लाल सी,
पनघट चली राधा लजीली, हंसिनी की चाल सी|
इत वो ठिठोली कर रही थी,गोपियों के साथ में,
नटखट कन्हैया उत् छुपे थे,कंकड़ी ले हाँथ में |
भर नीर मटकी को उठाया,किन्तु भय था साथ में,
चंचल चपल इत उत् निहारे,हो न कान्हा घात में |
ये भी दबी सी लालसा थी,मीत के दर्शन करूँ,
उनकी मधुर मुस्कान पर निज,प्रीति को अर्पण करूँ|
धर धीर मंथर चाल से वो, मन्द मुस्काती चली ,
पर क्या पता राधिके को,ये न बिपदा है टली |
तब ही अचानक गागरी में, झन्न से कांकरी लगी,
फूटी गगरिया,नीर फैला, रह गई राधा ठगी |
कान्हा नजर के सामने थे, राधिका थी चुप खड़ी,
अपमान से मुख लालता,अरु आँख धरती पर गड़ी|
बोलूं न कान्हा से कभी मैं, सोंच कर के वह अड़ी ,
इस दृश्य को लखकर किशन की,जान सांसत में पड़ी|
चितचोर ने झटपट मनाया,अब न छेड़ूँगा तुझे ,
ओ राधिके,अब मान भी जा, माफ़ भी कर दे मुझे|
झट से मधुर मुरली बजाई, वो करिश्मा हो गया,
मनमीत की मनुहार सुनकर, क्रोध सारा खो गया |
मनुहार सुनकर सांवरे की, राधिका बिचलित हुयी,
थी नार नखरीली बहुत पर, गीत से प्रेरित हुयी |
ये प्रेम की बातें मधुरतम,
सिर्फ वो ही जानते ,
जो प्रेम से बढ़कर जगत में,
और कुछ न मानते हैं

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